पहले ग्युला केच्केमेत शहर के रेडियो में प्रेसेंटर का काम करता था. बहुत एक्टिव ज़िन्दगी जीता था, हमेशा इधर उधर भाग दौर करता थम काम करता था. ऊँची बी.पी. की दवाइयां नहीं ले रहा था और लगातार ह्य्पेर्तोनिया होने की वजह से यह मुश्किल सामने आये. ग्युला को ४४ साल की उम्र में लकवा हो गया था और उसका पूरा राईट साइड पेरेलाय्स हो चूका था. लकवे के बाद ४/५ का रिहैबिलिटेशन होने वाला था. आय.सी.यू. में मशीन कि मदद से जिंदा रहता था, वह खुद सांस लेने या खाना खाने के काबिल भी नहीं था.
सिपेप्ताय्द शुरू करने के बाद ग्युला को अपने शरीर के राईट साइड में एहसास वापस आने लगे. पहले झुनझुनी महसूस हुई फिर ठंडा और गरम पानी का फरक समझ में आने लगा. कल के रेडियो प्रेसेंटर अब अकेले चलना सीख रहे हैं. उन की फिसिओथेरपि सेगेद शेहेर में जारी है. वहां उस को सिफारिश मिली कि ज़िम्मर फ्रेम की मदद से अब उस की गत ठीक होने लगी और जो बड़ी बड़ी हरकतें करते थे, अब छोटे होने लगी.
परिवार लड़ने को तैयार है. ग्युला भी तैयार है. वह फिर से अपने बेटों के साथ बास्केटबॉल खेलना चाहता है.